अनलॉक-1 के पहले दिन सोमवार को सहरसा से नई दिल्ली के लिए स्पेशल वैशाली एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन शुरू होने से यात्रियोें ही नहीं आम लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सोमवार की सुबह ट्रेन अपने निर्धारित समय 6:45 बजे सहरसा स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 2 से नई दिल्ली के लिए रवाना हुई। 22 कोच की 02553 नंबर की स्पेशल वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस में पहले दिन करीब 300 यात्री नई दिल्ली सहित अन्य जगहों के लिए सहरसा से प्रस्थान किए।

ये सभी वही यात्री थे जो स्थाई रूप से दिल्ली और आसपास रहते हैं।होली सहित विभिन्न पारिवारिक समारोह में सहरसा, सुपौल , मधेपुरा आए थे और अचानक लागू देशव्यापी लॉकडाउन में फंस गए। 70 दिनों बाद सहरसा से बाहर निकलने के लिए पहली एक्सप्रेस ट्रेन खुली तो लोगों ने राहत की सांस ली। अब लोगों ने सहरसा से पटना के लिए राज्यरानी सुपरफास्ट चलाने की मांग की है।दाे महीने से फंसे थे कई यात्रीकरीब 70 दिनों के बाद सहरसा स्टेशन से आम लोगों के लिए पहली एक्सप्रेस ट्रेन की शुरूआत हुई है।

यह ट्रेन 7 एसी बोगी , 1 पैंट्री कार , 3 सामान्य बॉगी, 9 स्लीपर बॉगी सहित कुल 22 बॉगियों के साथ रवाना हुई। सामान्य बॉगी में 70 यात्री, 144 यात्री स्लीपर क्लास में तथा करीब 74 यात्री एसी बोगियों में सवार हुए। सवार यात्रियों में कई लोग ऐसे थे जो कि बिहार स्थित अपने -अपने घरों में अथवा रिश्तेदारों के यहां आकर लॉकडाउन में फंस गए थे। स्पेशल ट्रेन में कई कामगार ऐसे मिले जो कि लॉक डॉन से पहले किसी कारण बस अपने अपने घरों अथवा रिश्तेदारों के यहां आए थे जिन्हें लॉकडाउन के कारण लाचारी वश दो महीने से अधिक समय तक रूकना पड़ गया।
भतीजी की शादी में आए थे गांव

शहर से सटे परमिनिया गांव के रमेश मुखिया एवं उनकी पत्नी मंगली देवी ने बताया कि वे लोग भतीजी की शादी में गांव आए थे लेकिन लॉक डाउन के कारण गांव में ही रुकना पड़ा। रमेश मुखिया ने बताया कि वह दिल्ली में दवाई की फैक्ट्री में काम करता है। छोटे-छोटे बच्चों को छोड़कर शादी में शरीक होने के लिए बिहार आए थे।

स्क्रीनिंग के बाद ही बोगी में जाने की मिली इजाजत
सहरसा स्टेशन से वैशाली एक्सप्रेस ट्रेन खोलने से पहले यात्रियों की पूरी तरह से स्क्रीनिंग की गई। यात्रियों को प्लेटफार्म पर नंबर 2 पर ले जाने के लिए 3 नंबर प्लेटफॉर्म होकर फुट ओवरब्रिज के नजदीक से दो नंबर प्लेटफार्म पर लाया गया। यात्रियों को कतारबद्ध कर सैनिटाइज किया गया । तदुपरांत स्क्रीनिंग कर टिकटों की पड़ताल की गई। सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही यात्रियों को ट्रेन में बैठने दी गई। यात्रियों को व्यवस्थित रूप से ट्रेन पर सवार करने के लिए स्टेशन अधीक्षक नीरज चंद्रा, आरपीएफ इंस्पेक्टर सारनाथ सहित दर्जनों रेल पदाधिकारी और कर्मी मौजूद थे।
परिवारिक समारोह में भाग लेने के लिए आए थे सुपौल
गांधीपथ निवासी प्रियरंजन ने बताया कि दिल्ली में एरोनॉटिकल इंजीनियर है। 15 मार्च को ही घर आया था एवं लॉकडाउन में फंस गया। एसी कोच में सफर कर रही सुपौल की सुचित्रा देवी , संजू देवी, साक्षी एवं तानवी ने बताया कि उनलोगों का दिल्ली में भी घर है। पारिवारिक समारोह में भाग लेने के लिए सुपौल आए थे एवं लॉकडाउन में फंस गए। राजेश ने बताया कि ससुराल सिंहेश्वर के बगल में बिरेली बाजार में है। राजेश ने बताया कि वह अपने ससुराल आया था लेकिन लॉक डाउन में ढाई महीना से ज्यादा समय तक ससुराल में बिताना पड़ा। अरसी निवासी राजेश मुखिया ने बताया कि कानपुर में टावर बनाने का काम करता है।



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The train ran after 70 days, Vaishali X left for Delhi carrying 300 passengers trapped in lockdown.

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