वसुधैव कुटुंबकम का आदर्श सदा ही पूरी विश्व मानवता के लिए भारत की तरफ से एक सौगात है। मगध विवि दर्शनशास्त्र विभाग के तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय नेशनल वेबीनार के अंतिम दिन समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफेसर एसआर भट्ट ने उक्त बातें कही। उन्होंने कहा, कोरोना काल में भारत की यह उक्ति उभर कर सामने आई।
भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रोफेसर आरसी सिन्हा ने वसुधैव कुटुंबकम के वास्तविक चरित्र को जीवन में अपनाने पर बल दिया। प्रो कुमार रत्नम ने कहा कि सदैव से भारतीय जीवनशैली में पूरे विश्व के सभी मनुष्यों, जीव, जंतुओं के कल्याण के विचार निहित रहें हैं।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में हरिसिंह गौर सागर विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के मानविकी संकाय अध्यक्ष एवं दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर डॉ अंबिकादत्त शर्मा ने संस्कृति की रक्षा एवं उन्नति के लिए सदैव ही अक्षय ज्ञान परंपरा को अपनाने के लिए उच्च कोटि की आचार्य परंपरा और संस्थाओं की भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि वसुधैव कुटुंबकम वाक्य पूरे विश्व की संस्कृति और सभ्यता के लिए भारत की तरफ से धेय्य वाक्य की तरह है और इसके सांस्कृतिक आधार को कैसे स्थापित किया जाए, इसके बारे में अपने व्याख्यान में उन्होंने विस्तार से बताया।
सभी में है वसुधैव कुटुंबकम का भाव
भारत में सभी जीवों, पक्षी व पेड़-पौधों से प्रेम व सहिष्णुता की परंपरा रही है। यही वसुधैव कुटुंबकम की नींव है। प्राचीन धर्मसाहित्यों में इसके बीज देखने को मिलते हैं। उपनिषद, बौद्ध साहित्य व जैन साहित्य में कई उद्धरण मिलते हैं, जो इस परंपरा के वाहक हैं। जब भगवान बुद्ध चरथ भिक्खवे चारिकं, बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय कहते हैं, तब वे वसुधैव कुटुंबकम को ही बढ़ावा देते हैं।
मगध विवि के स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित ऑन लाइन तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार के दौरान उक्त बातें डी राजेंद्र ने कही। उन्होंने कहा, भगवान बुद्ध का करूणा का सिद्धांत हमें सभी के कल्याण की बात कहता है। इसी से सभी का विकास होगा, सुख-दुख में साथ होगा। विश्व को निराशा से निकालकर आगे बढ़ने में सहयोग करेगा। गांधी, स्वामी विवेकानंद व श्री अरविंदों जैसे दार्शनिकों ने इस विचार को आगे बढ़ाया।
खुलेगा आईसीपीआर स्टडी सेंटर
डॉ शैलेंद्र कुमार सिंह ने किया। डॉ शैलेंद्र कुमार ने आईसीपीआर अध्यक्ष व मेंबर सेक्रेट्री दोनों से मगध विवि दर्शनशास्त्र विभाग में आईसीपीआर के सहयोग से स्टडी सर्किल की स्थापना के लिए सहायता मांगी। इस पर सकारात्मक उत्तर देते मेंबर सेक्रेट्री ने सकारात्मक आश्वासन दिया।
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