जिले में क्वारेंटाइन में रह रहे दो लोगों की मौत हो गई है। बुधवार को फारबिसगंज शहर से सटे क्वारेंटाइन सेंटर के एक प्रवासी की इलाज के दौरान अनुमंडल अस्पताल में मौत हुई। इससे पहले मंगलवार को अररिया पॉलिटेक्निक कॉलेज क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे एक वृद्ध की भी मौत हो गई। बता दें कि जिले में कोरोना मरीजों की संख्या 61 है।
पांच दिन पूर्व परिजन रानीगंज के बगुलाहा स्थित क्वारेंटाइन सेंटर से पॉलिटेक्निक कॉलेज में जांच के लिए लाए थे। सेंटर में भर्ती होने के बाद चिकित्सक की टीम ने वृद्ध का सैंपल जांच भी कराया। लेकिन उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। वृद्ध रानीगंज के बगुलाहा के रहने वाले थे। कुछ दिन पहले ही पंजाब से आए थे। उन्हें बगुलाहा क्वारेंटाइन सेंटर में भर्ती कराया गया था। डीएसपी पुष्कर कुमार ने बताया कि वृद्ध को उनके परिजन छोड़ गए थे। सैंपल जांच कराया गया तो रिपोर्ट निगेटिव आई थी। वहीं, सीओ अशोक कुमार सिंह ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया है। रात 10:30 तक शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया था।
मरने वाले एक प्रवासी दिल्ली और दूसरे पंजाब से आए थे
फारबिसगंज शहर से सटे एक क्वारेंटाइन सेंटर में 50 वर्षीय एक व्यक्ति की तबीयत खराब होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय अधिकारियों के द्वारा इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचाया गया। जहां इलाज के दौरान उक्त अधेड़ व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक प्रखंड के अमहारा पंचायत के मधुबनी का निवासी बताया जाता है। बताया जाता है कि उक्त अधेड़ व्यक्ति कुछ दिन पूर्व दिल्ली से आने के बाद शहर से सटे एक क्वारेंटाइन सेंटर में थे जहां उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उसे अनुमंडलीय अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। जहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों ने इलाज प्रारंभ किया मगर हालात नहीं सुधरने पर चिकित्सकों ने अररिया रेफर कर दिया। बताया जाता है कि अररिया से उन्हें पुनः अनुमण्डलीय अस्पताल इलाज के लिए भेज दिया गया जहां इलाज के दौरान उसकी बुधवार को मौत हो गयी। अनुमण्डलीय अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक उक्त अधेड़ व्यक्ति पहले से बीमार रहते थे। बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के द्वारा दो दिन पूर्व उनका सैंपल भी जांच के लिए भेजा गया है जिसकी बुधवार तक रिपोर्ट नहीं आई है।
परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। कहा कि अनुमण्डलीय अस्पताल में जैसे तैसे इलाज किया। बाद में अररिया रेफर कर दिया जहां इलाज नहीं कर वहां से पुनः अनुमण्डलीय अस्पताल भेज दिया गया। किसी ने कोई मदद नहीं की। समाचार लिखे जाने तक शव अनुमण्डलीय अस्पताल में ही पड़ा था।
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