वैश्विक महामारी के बीच लॉकडाउन खुलने पर देश में लोगों की सुविधा को लेकर स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही है। जो पूर्व में नियमित चलने वाली विभिन्न ट्रेनों के पैटर्न पर परिचालन किया जा रहा है, लेकिन कोरोना का खौफ बिहार-झारखंड की राजधानियों को जोड़ने वाली एकमात्र स्पेशल ट्रेन में देखने को मिल रहा है।

रांची-पटना जनशताब्दी स्पेशल 023564/02366 में दोनों राजधानियों के बीच अगले सात दिनों में 1000 से अधिक सीटें खाली है। जबकि गया जंक्शन से पटना के लिए इस ट्रेन में सप्ताह भर में टिकटों की वेटिंग लिस्ट है। वहीं जंक्शन से रांची के लिए भी सीटें उपलब्ध है। ट्रेनों में वैसे यात्री अधिक हैं जो लॉकडाउन के कारण फंस गए थे। जरूरी यात्रा के लिए ही लोग ट्रेन पकड़ने जंक्शन तक पहुंच रहे हैं। वहीं गया जंक्शन से पटना के बीच 50 के करीब वेटिंग टिकट कट रहा। जंक्शन से गुजरने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से उतरने वाले प्रवासियों की संख्या में भी काफी कमी आई है। आंकड़े परिवर्तनशील।
जंक्शन से गुजरने वाली अन्य स्पेशल ट्रेनों में वेटिंग टिकट
आईआरसीटीसी वेबसाईट के अनुसार बिहार आने वाली लंबी दूरी की स्पेशल ट्रेनों में स्लीपर में एक सप्ताह के अंदर 50 के ऊपर वेटिंग ग्राफ है। वहीं जंक्शन से अन्य प्रदेशों के स्टेशनों के लिए वेटिंग लिस्ट 40 से नीचे है।

जताया विरोध: रेलकर्मियों पर अतिरिक्त काम थोपने की योजना बना रही सरकार-ईसीआरकेयू

रेल कर्मियों पर अतिरिक्त काम थोपने की केंद्र सरकार योजना बना रही है। मर्जर ऑफ कैडर व मल्टी स्कीलिंग के तहत सरकार रेलवे में कर्मियों की संख्या घटाकर 13.26 से 10 लाख करने की योजना पर काम कर रही है। ये बातें पूर्व मध्य रेलवे कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने कही। संघ के द्वारा 1 से 8 जून तक इन्हीं बातों को लेकर जंक्शन पर गुरुवार को विभिन्न विभागों में जागरूकता अभियान चलाया गया।

कर्मियों को सरकार के इरादे को बताते हुए अपने हक के लिए जागरूक होने व रेलकर्मी विरोधी नीतियों का विरोध को तैयार रहने को कहा। संघ के सहायक महामंत्री मिथलेश कुमार ने बताया कि नीति लागू होती है तो एक रेलकर्मी से उतनी ही सैलरी में चार लोगों के बराबर का काम लिया जाएगा। यूनियन के स्थानीय शाखा अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा सरकार पहले ही पिछले दरवाजे से रेलवे का निजीकरण करने पर तूली है। सभी से एकजूट होने की अपील की।



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People are reluctant to travel in trains, only traveling

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