कोरोना करुणा पलायन का दर्द अभी जारी है। यह अलग बात है कि प्रवासी मजदूरों के पलायन को लेकर सुबह की सरकार ने यूपी-बिहार करना सा बॉर्डर पर लंबी अवधि तक आपदा राहत और सहायता शिविर के जरिए हजारों प्रवासी श्रमिकों को पूरे इंतजाम के साथ उनके गांव तक पहुंचाई ऐसे में बुधवार को यूपी-बिहार करना सा बॉर्डर से सरकार ने अपना राहत सहायता शिविर हटा ली तो दूसरी तरफ हरियाणा से यूपी के रास्ते पूर्णिया जाने के लिए मासूम बच्चे के साथ एक परिवार वहां पहुंचा, लेकिन आने में बहुत देर कर दी। इसका नतीजा रहा कि सरकारी मदद नहीं मिल सकी दरअसल दिनेश ऋषि, सबलू ऋषि, कन्हैया ऋषि, मनोज ऋषि, पंकज ऋषि, जानकी देवी पति पंकज ऋषि गोद में लिए एक मासूम बच्चे के साथ कर्मनाशा बार्डर पहुंचे। उन्होंने बताया कि हरियाणा से बिहार के पूर्णिया जिला जाना है।

जानकी देवी पूरे परिवार के साथ लाचार
गोद में डेढ़ साल का बच्चा लिए हुए जानकी देवी पूरे परिवार के साथ लाचार बेबस दिखी। यूपी-बिहार खजुरा गांव के सामने शासन प्रशासन अपना बोरिया बिस्तर बांध कर लगाए गए कैंप थर्मल स्कैनिंग और रजिस्ट्रेशन कराने की सारी व्यवस्था हटा दिया दिया है। ऐसे में प्रवासी मजदूर बॉर्डर पर पहुंचते ही लाचार और बेबस दिखाई दिए।

तीन रोज से भूखे प्यासे कैसे सफर तय होगा
बार्डर पर पहुंचे परिवार ने कहा तीन दिन बाद हम लोग यहां पहुंचे। जहां पर कोई साधन नहीं मिलने के कारण लाचार और विवश हैं। तीन रोज से भूखे प्यासे आखिर कैसे पूर्णिया तक की सफर तय होगी ना बस का इंतजाम है और ना ही ट्रेन की हालांकि वहां मौजूद लोगों ने बताया कि अब ट्रेन और बस की सुविधा हो गई है। आप लोग यहां से मोहनिया जाइए और फिर मोहनिया से पटना के लिए खुलने वाली बस से पटना और फिर पूर्णिया।



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Family reached Karmnasha border to go to Purnea via Haryana

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