जिलेवासियों को उबारने के लिए जिला प्रशासन हर जरूरी उपाय करने में जुटा है। मंगलवार को जिलाधिकारी नवीन कुमार ने जिले की सबसे बड़ी किसान व मजदूरों की आबादी को आर्थिक रूप से समृद्ध करने के लिए व्यवसायिक व नकदी खेती के उपायों पर प्रभावी रणनीति निर्माण के लिए यहां किसान भवन में किसानों का एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। डीएम ने कहा कि मौसम के बदलते चक्र को देखते हुए अब पारंपरिक फसलों से हटकर किसानों को कुछ नया और बेहतर करने की जरूरत है।

उन्होने कहा कि सोयाबीन की खेती व मशरूम उत्पादन इसके लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं क्योंकि दोनो ही उत्पादों का स्थानीय स्तर पर बड़ा बाजार मौजूद है। उन्होने प्रशिक्षण के दौरान किसानों को व्यवसायिक व नकदी खेती के लिए प्रोत्साहित व जागरूक करते हुए कहा कि इस तरह की खेती से ही किसानों की आमदनी बढ़कर कई गुणा हो सकती है। उन्होने किसानों को भरोसा दिलाया कि प्रशासन की ओर से उन्हें व्यवसायिक खेती के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण व अन्य सभी जरूरी संभव मदद दिलाई जाएगी।

किसान इस तरह की खेती की शुरूआत करें, उन्हें विपरीत हालात से उबरने में इससे काफी मदद मिलेगी। उन्होने मोदनगंज, काको तथा घोसी प्रखंडों से मौके पर आए किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि इन तीन प्रखंडों के किसान सोयाबीन की खेती अवश्य करें क्योंकि इन जगहों पर सोयाबीन की खेती के लिए मुफीद जमीन मौजूद है।

फुड प्रोसेसिंग यूनिट की जिले में होगी स्थापना

जिलाधिकारी ने बताया कि जिले में फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी, जिसमें टमाटर सॉस, कैचप, सोयाबीन बडी, आटा मिल इत्यादि लगाने का प्रस्ताव है। इससे लोगो को अधिक से अधिक रोजगार मिलेगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने उद्योग विभाग को एक प्रस्ताव भेजा है। इसकी स्वीकृति मिलते ही काम शुरू किया जाएगा।

कई वफसलों से खेतों की उर्वरा शक्ति भी होती है संवर्द्धित

जिलाधिकारी ने किसानों को बताया कि यह एक नगदी फसल है तथा धान से कम मेहनत में हीं अधिक उपज मिलता है। साथ हीं खेत की उर्वरा शक्ति भी संवर्द्धित व बढ़ती है। उन्होंने बताया कि मोदनगंज, काको, घोषी इत्यादि प्रखंडों में ऊंची जमीन पर जहां वर्षा कम होती है, वहां सोयाबीन की खेती की जा सकती है। उनहोंने किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि देश के अन्य राज्यों जैसे - पंजाब, मध्य प्रदेश इत्यादि राज्यों में सोयाबीन की अच्छी खेती की जाती है। बिहार में हीं समस्तीपुर, बेगुसराय, सीतामढ़ी, जमुई जैसे जिले जहां कम वर्षा होती है, वहां सोयाबीन की खेती की जा रही है। जिला पदाधिकारी ने बताया कि सोयाबीन की खेती अगर आप करेंगे, तो जिले में सोयाबीन बरी का प्लांट फैक्ट्री लगाया जा सकता है, जिससे लोगो को रोजगार भी प्राप्त होगा। प्रशिक्षण में किसानों ने सोयाबीन के बीज उपलब्ध कराने हेतु अनुरोध किया। जिला पदाधिकारी ने आश्वासन दिया कि दस जून तक सोयाबीन का बीज उन्हें उपलब्ध करा दिया जाएगा। इसके अलावा मशरूम के उत्पादन पर भी किसानों को ध्यान देना चाहिए। मशरूम भी नकदी फसल का एक अच्छा व लाभकारी विकल्प है।

किसानों को बताई गई खेती की तकनीक

प्रशिक्षण में जिला कृषि पदाधिकारी सुनिल कुमार ने भी किसानों को विस्तार से सोयाबीन की खेती के तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारियां दी। सोयाबीन की अनेक किस्मों के बारे में बताया गया कि एक एकड़ जमीन में सोयाबीन लगाने में लगभग 34 से 35 हजार की आमदनी होती है। इसमें रिस्क भी कम है। इसी प्रकार एक एकड़ में धान लगाने में लगभग अधिकतम 22 हजार की आमदनी होती है। उन्होंने बताया कि किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के द्वारा क्षेत्र में जा कर विस्तार से बताया जाएगा। प्रशिक्षण में लगभग 50 किसानों ने भाग लिया, जो विशेष कर मोदनगंज, काको तथा घोसी प्रखंड से आये थे। इन किसानों ने सोयाबीन की खेती करने में गहरी रूचि दिखाई। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग से सहयोग मिले तो हमसब सोयाबीन की खेती करने के लिए तैयार है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी सहित कृषि विभाग के पदाधिकारी एवं संबंधित प्रखंडों के किसान उपस्थित थे।



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Cultivation of commercial crops will be helpful in recovering from corona infection and lockdown

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