आरडीएस काॅलेज कैंपस स्थित पोस्टऑफिस में उपडाकपाल संजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार काे शरीर पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा ली। उनकी टेबल पर एक सुसाइड नोट मिला है। इसमें डाक निरीक्षक पर परेशान करने का जिक्र है। काजी मोहम्मदपुर थाने की पुलिस ने एक डाक कर्मचारी को पूछताछ के लिया उठाया, फिर बाद में छोड़ दिया। पुलिस ने पत्नी के बयान पर आत्महत्या का केस अज्ञात के विरुद्ध दर्ज किया है। संजय मूलतः वैशाली के पातेपुर अंतर्गत खेसराही के निवासी थे।

वह पीएंडटी कॉॅलोनी में परिवार के साथ रहते थे। घर में पत्नी सपना सिन्हा, 10 वर्ष की पुत्री सासा और 8 साल का पुत्र सार्थक है। पत्नी ने पुलिस को बताया कि पति के ऑफिस जाने के बाद बेटे की तबीयत खराब हो गई। यही बताने काे बार-बार काॅल की, लेकिन काेई जवाब नहीं मिला। फिर बगल में रह रहे भांजे साकेत सिन्हा को ऑफिस भेजा। डाकघर के बाहर भीड़ लगी थी। साकेत ने बताया कि उसने खिड़की से झांक कर देखा, तो संजय जली हालत में फर्श पर पड़े थे। डाकघर का गेट अंदर से बंद था। पुलिस तोड़ कर अंदर घुसी।
वैशाली के संजय पीएंडटी कॉलोनी में रहते थे

  • स्थानांतरण हो गया, लेकिन जिनका पदस्थापन हुआ वह क्यों नहीं आए?
  • दूसरा स्टाफ नहीं आया फिर भी वरीय अधिकारी अनभिज्ञ क्यों रहे?
  • क्या वरीय अधिकारी की भूमिका से दबाव में थे?
  • ट्रांसफर के बाद महीनों उप डाकपाल वहां क्यों रोके रखा गया?

ट्रांसफर होने के बाद भी नहीं दे पा रहे थे चार्ज

पुलिस को पता चला है कि उप डाकपाल संजय कुमार सिन्हा का हेड पोस्ट ऑफिस में ऐच्छिक स्थानांतरण हो चुका था। लेकिन, इस डाकघर के एकल कर्मी होने के कारण स्थानांतरित जगह पर जॉइन करने के लिए किसी को चार्ज नहीं दे पा रहे थे। इसके लिए वह डाक निरीक्षक से कई बार आग्रह कर चुके थे।

पुलिस ने कहा- सुबह में अपनी पत्नी से बहस करने के बाद बिना कुछ खाए ऑफिस आए थे
काजीमोहमदपुर थाना अध्यक्ष मो. सुजाउद्दीन ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद परिजन शव लेकर पैतृक गांव चले गए। 90% तक बॉडी जल चुकी थी। संजय सुबह में पत्नी से बहस के बाद बिना कुछ खाए ही ऑफिस निकल गए। डाक अधीक्षक समेत कई अधिकारी थाने पहुंचे। पुलिस ने उनसे सुसाइड नोट को लेकर पूछताछ की। उधर, इस बात की भी चर्चा है कि घटना में उच्च अधिकारी की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। संघ के पूर्व जिला सचिव ने कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि स्थानांतरण के बाद महीनों उन्हें वहां क्यों रोके रखा गया था।
आ रही थी पेट्रोल की बदबू, पर नहीं मिला कोई साक्ष्य

पुलिस के अनुसार उपडाकपाल संजय के शव के पास से पेट्रोल की बदबू आ रही थी, लेकिन वहां कोई बोतल या डिब्बा नहीं मिला। डाकघर के काफी कागजात भी जले हुए थे। ऐसा लग रहा था कि कागजात में आग लगा कर संजय बीच में कूद पड़े हाें। काजी मोहम्मदपुर थानेदार ने बताया कि शरीर में आग लगने के बाद उपडाकपाल डाकघर से बाहर निकलने के लिए भागे। लेकिन, बंद गेट के पास पहुंच कर गिर गए। फिर वहीं पर उनके पूरे शरीर में आग लग गई। गेट से बाहर निकलते तो पास में ही पोखर में कूद सकते थे। अगर उपडाकपाल संजय भाग कर पोखर में कूद जाते तो शायद उनकी जान बच सकती थी।

पारिवारिक और विभागीय परेशानी के बिंदु पर जांच
आत्महत्या के इस मामले में पारिवारिक और विभागीय परेशानी के बिंदु पर छानबीन हाे रही है। सुसाइड नोट के आधार पर एक डाक कर्मचारी से पूछताछ चल रही है। -नीरज कुमार सिंह, सिटी एसपी
घटना दुखद, जांच के बाद कुछ कहा जा सकता है

घटना दुखद है। जानकारी मिलने पर गए थे। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। उप डाकघर सिंगल पदाधिकारी का है। विभाग भी अपने स्तर से जानकारी ले रहा है। -राजदेव प्रसाद, डाक अधीक्षक
इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कर कार्रवाई की जाए

आत्महत्या करने की घटना से स्तब्ध हूं। संजय काफी संयमित और मृदुभाषी थे। इस घटना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। ताकि घटना के जिम्मेदार व दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। -मनोज कुमार, पूर्व जिला सचिव, राष्ट्रीय डाक कर्मचारी संघ



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