यादव व दलित-महादलित वोटरों के दबदबे वाली मसौढ़ी विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प हो गया है। राजद की रेखा देवी और जदयू की नूतन पासवान के बीच मुकाबला है। लेकिन लोजपा ने फतुहा के विधायक रहे ओमप्रकाश पासवान के पुत्र परशुराम पासवान को उतारकर मुकाबले में नया कोण खड़ा कर दिया है।
भारतीय सबलोग पार्टी की सरिता पासवान भी जी-जान से जुटी हैं। 2015 के चुनाव में राजद की रेखा देवी और तब हम की प्रत्याशी नूतन पासवान के बीच सीधी टक्कर हुई थी। इतिहास गवाह है कि पिछले 25 साल के दौरान यहां सिर्फ आरजेडी और जेडीयू को ही जीत मिल पाई है, बाकि दलों को निराश ही लौटना पड़ा है।
मसौढ़ी बाजार के अनिल कुमार मिठू ने कहा कि इस बार सवर्णों के वोट बंटने की संभावना है। सात निश्चय के तहत नगर में नल-जल योजना का बुरा हाल है। जगह जगह पाइपलाइन खराब है। अब तक पूरे नगर में कहीं सप्लाई भी नहीं शुरू हुई है। अधिवक्ता अजीत कुमार कहते हैं कि हर बार जनप्रतिनिधियों ने निराश किया है।
इस बार बहुत लोग नोटा बटन दबाएंगे। सुरेंद्र चौधरी कहते हैं कि सरकार की शराबबंदी यहां फेल है। अनुसूचित जाति के वोट भी बंटने की संभावना है। मो. सरफराज साहिल मसौढ़ी में सड़क जाम की समस्या को बड़ा मुद्दा बताते हैं। मो. मसूद रजा कहते हैं मुस्लिम समाज किसी का बंधुआ मजदूर थोड़े है, वक्त आने पर पता चल जाएगा।
मसौढ़ी सीट पर अबतक का राजनीतिक सफर
यहां 28 अक्टूबर को वोटिंग होगी। यह सीट एससी प्रत्याशी के लिए सुरक्षित है। राजद की रेखा देवी विधायक हैं। उससे पहले 2010 में जदयू के अरुण मांझी जीते थे। इस बार जदयू के टिकट पर नूतन पासवान दोबारा मैदान में हैं। 2005 के चुनाव में जदयू की पूनम देवी ने यहां से तीसरी बार जीत दर्ज की थी।
इससे पहले पूनम देवी फरवरी 2005 में जदयू से और सबसे पहले 1985 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से जीतीं थीं। अब तक इस सीट पर कुल 16 चुनाव हो चुके हैं। इसमें चार बार कांग्रेस, तीन बार जदयू, दो-दो बार राजद और भाकपा, एक-एक बार जनता दल, इंडियन पीपुल्स फ्रंट, जनता पार्टी (सेक्युलर), जनता पार्टी और जनसंघ ने जीत दर्ज की है।
वोट बहिष्कार के बीच जोर पकड़ने लगा है प्रचार
क्षेत्र में समस्याओं की भरमार और कई गांवों में वोट बहिष्कार के ऐलान के बीच प्रचार अब जोर पकड़ने लगा है। मसौढ़ी अनुमंडल मुख्यालय है लेकिन सरकारी कॉलेज नहीं है। लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं रहने से लोग नाराज हैं।
नगर में अतिक्रमण, सीवरेज, रेलवे गुमटी पर रोज लगने वाले जाम के साथ किसानों के लिए खेतों की सिंचाई व कृषि उत्पादों के लिए समुचित बाजार का नहीं होना हर चुनाव में मुद्दा बनता है। लेकिन समाधान नहीं होता।
वाहनों के लिए नियमित पड़ाव नहीं होने से जाम की समस्या, जलजमाव व स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल। अनुमंडलीय अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सकों के नहीं रहने का सवालों से भी प्रत्याशियों का सामना हो रहा है।
यादव और दलित वोटरों का दबदबा
इस सीट पर यादव और दलित वोटरों का दबदबा है। यादव वोट सबसे अधिक हैं, ऐसे में हर दल उनको ध्यान में रख उम्मीदवार चुनता है। यहां इस बार 335742 लाख वोटर हैं।
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