कलश स्थापना के साथ भक्ति, शक्ति और और श्रद्धा का महापर्व शारदीय नवरात्र शनिवार यानी 17 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा। काेराेना की वजह से इसबार मूर्तियां नहीं बैठाए जाने से घर-घर में देवी की पूजा हाेगी। मंदिरों में शंख और घंटे की ध्वनि से पूरा माहौल नौ दिनों तक भक्तिमय रहेगा। हालांकि पिछले वर्षों की तरह भक्तों को भव्य पूजा पंडाल, दिव्य प्रतिमा, आकर्षक विद्युत सज्जा, तोरणद्वार देखने को नहीं मिलेगा। पूजा समितियों ने कलश स्थापना कर ही मां की पूजा करने का निर्णय लिया है।

बंगाली पूजा समिति की ओर से लोकप्रिय सिंदूर खेला भी इस वर्ष नहीं होगा। इसके बावजूद भक्तों में पूजा को लेकर उत्साह में कोई कमी नहीं है। शुक्रवार काे देर शाम तक भक्तों ने मां की पूजा से जुड़ी सामग्री की खरीदारी की। पंडित श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि सुबह 6 से 12 बजे तक अलग-अलग काल के शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कर सकते हैं।

शुभ मुहूर्त सुबह 6:10 से 9:04 बजे तक, राहु काल में 9:04 से 10:32 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त में 11:36 बजे से 12:22 तक कलश स्थापन कर सकते हैं। नवरात्र के नौ दिन देवी के अलग अलग रूप की पूजा हाेती है। पहले दिन शैलपुत्री की पूजा होगी।

बड़ी पटन देवी
महंत विजय शंकर गिरि ने बताया कि सुबह साढ़े 11 बजे के बाद से कलश स्थापन की विधि आरंभ होगी। हर दिन माता का अलग-अलग शृंगार होगा। मंदिर परिसर में सजावट की जा रही है। नवरात्र में यहां बिहार ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से भक्त और साधक पूजा और साधना के लिए पहुंचते हैं। काेराेना को लेकर विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। भक्त कतार में दूरी बना कर परिसर में प्रवेश करेंगे।

छोटी पटन देवी
आचार्य अनंत अभिषेक दिवेदी ने बताया कि शनिवार की सुबह 4 बजे कलश स्थापना की जाएगी। भक्ति वाटिका में इस बार हवन कुंड की व्यवस्था की जा रही है। इसी स्थान पर भक्तों के बैठने की व्यवस्था है। कोविड को लेकर इस तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं। नारियल चढ़ाने की व्यवस्था भी इस बार भक्ति वाटिका में होगी। लोग सुविधा से माता के दर्शन-पूजन कर सकें इस का पूरा इंतजाम है।

दरभंगा हाउस काली मंदिर
मंदिर में नवरात्र को लेकर एक सूचना दीवार पर लगा दी गई है। सूचित किया गया है कि इस वर्ष कोरोना संक्रमण को लेकर विशेष एहतियात बरती जा रही है। मंदिर परिसर में किसी को बैठने की इजाजत नहीं दी गई है। भक्तों से घर पर ही रहकर दुर्गा पाठ करने को कहा गया है। हालांकि दरभंगा हाउस के मुख्य रास्ते पर पूजा समितियों की ओर से छोटी प्रतिमा बैठाकर पूजा करने की तैयारी है।
मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर
मां सिद्धेश्वरी काली मंदिर बांस घाट में हर वर्ष प्रसाद वितरण होता था। इस वर्ष सिर्फ कलश स्थापना कर पूजा की जाएगी। प्रसाद वितरण नहीं होगा। कलश स्थापना में मंदिर के पुजारी और कर्मचारी ही शामिल हो सकते हैं। मंदिर में आने वालाें को सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखना हाेगा। मास्क भी अनिवार्य रहेगा। गेट पर ही सेनेटाइजर की व्यवस्था की जा रही है।



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बोरिंग रोड चौराहा के पास मां दुर्गा की पूजा के लिए बनाया गया है मंडप। यहां सिर्फ कलश पूजा होगी।

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