दूसरी बार माैका मिलने के बाद भी कुढ़नी प्रखंड प्रमुख निलोफर यासमीन अपनी कुर्सी नहीं बचा पाई। शनिवार काे प्रखंड सभागार में अविश्वास प्रस्ताव पर बुलाई गई बैठक के दाैरान मत विभाजन में प्रमुख के पक्ष में मात्र 15 वाेट पड़े, जबकि 31 विपक्ष में थे। दाे मत रद्द कर दिए गए। इस तरह प्रखंड प्रमुख की कुर्सी छिन गई।
प्रखंड प्रमुख पर पंचायत समिति सदस्यों ने सात गंभीर आरोप लगाकर अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन 1 अगस्त काे साैंपा था। इसके बाद कार्यपालक पदाधिकारी संजीव कुमार ने इसकी जानकारी डीएम काे दी थी। 1 सितंबर को पंचायती राज विभाग ने चुनाव कराने का आदेश दिया। बैठक की सूचना कार्यपालक पदाधिकारी संजीव कुमार ने सभी सदस्याें काे दी थी, लेकिन कोरोना पाॅजिटिव होने का हवाला देते हुए प्रखंड प्रमुख सदन में शामिल नहीं हुईं। हालांकि इस दाैरान हुए मत विभाजन में प्रखंड प्रमुख के खिलाफ 38 मत पड़े थे। उसी समय उनकी कुर्सी चली गई थी। उप प्रमुख उषा सिंह को कार्यवाहक प्रखंड प्रमुख का पद सौंपा गया था। प्रखंड प्रमुख ने इस मत विभाजन काे मनमाने ढंग से करने का अाराेप लगाते हुए हाईकोर्ट में परिवाद दायर किया। जिस पर हाईकाेर्ट ने बहुमत साबित करने के लिए एक मौका दिया।
इसके लिए डीएम ने शनिवार को बैठक की तिथि निर्धारित की थी। 52 सदस्यीय पंचायत समिति सदस्यों में से 48 पंचायत समिति सदस्य सदन में अाए। डीसीएलआर मधुकांत की देखरेख में मत विभाजन की प्रक्रिया शुरू की गई। मत विभाजन में प्रखंड प्रमुख बहुमत साबित नहीं कर पाईं। साथ ही कार्यवाहक प्रखंड प्रमुख उषा सिंह को अगले आदेश तक पद पर बने रहने का आदेश सदन ने दिया। विदित हाे कि कुढ़नी के 52 सदस्यीय पंचायत समिति सदस्याें में से एक पुरुष सदस्य पर केस है और वे फरार हैं। दूसरी महिला सदस्य का निधन हाे गया। तीसरी महिला सदस्य ने इस्तीफा दे दिया था, जबकि बैठक में एक महिला सदस्य अनुपस्थित रहीं। इस तरह से 48 सदस्य ही बैठक में भाग लेने पहुंचे थे।
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