केंद्रीय ट्रेड यूनियन की गुरुवार को देशव्यापी हड़ताल का मिलाजुला असर दिखा। हड़ताल के समर्थन में भाकपा, माकपा, भाकपा माले सहित वामदलों के नेता और कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। भाकपा माले के विधायकों ने विधानसभा में भी श्रमिकों के मामले को उठाया। प्रतिदिन काम का घंटा 12 से घटा कर 8 करने की मांग की। राजधानी सहित राज्य के विभिन्न जिलों में ट्रेड यूनियन और वामदलों के नेताओं ने प्रदर्शन किया।
माले विधायकों ने मजदूर विरोधी श्रम कानूनों की वापसी की मांग की। भाकपा माले नेताओं ने आरोप लगाया कि आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी सहित सभी स्कीम वर्करों की मांग को सरकार अनसुना कर रही है। केंद्र सरकार गुलामी के 4 श्रम कोड कानूनों को वापस ले। कंपनी राज देश में नहीं चलेगा। समान काम के लिए समान वेतन लागू हो।
अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के महासचिव धीरेंद्र झा ने कहा कि हड़ताल में मनरेगा, खेत व ग्रामीण मजदूर, निर्माण मजदूर और असंगठित क्षेत्र के सभी मजदूरों की भागीदारी रही। किसान नेता राजाराम सिंह ने कहा कि किसान विरोधी तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर जिला और अनुमंडल मुख्यालयों पर भी किसानों ने धरना दिया।
किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाना सरकार सुनिश्चित करे। भाकपा के राज्य सचिव और बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के अध्यक्ष रामनरेश पांडेय, अवधेश कुमार, गणेश शंकर सिंह, मनोज चंद्रवंशी, कन्हैया कुमार, कपिलदेव यादव, गजनफर नवाब, रामबाबू कुमार, आरएन ठाकुर, रणविजय कुमार, गणेश प्रसाद सिंह आदि शामिल थे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
إرسال تعليق