(संजय अथर्व) इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद अपनी नौकरी छोड़ टिकारी अनुमंडल के आशीष कुमार व अमित प्रकाश खेती में जुड़ गए हैं। खेती में परंपरागत उत्पादों से इतर नए शोध पर आधारित किसानी को प्राथमिकता बनाया। नतीजा, ब्लैक राइस के अब ब्लैक गेंहू की व्यवसायिक खेती शुरू कर दी है।
खुद के अलावा सौ से अधिक किसानों को इस साल काला गेहूं की खोती को बीज उपलब्ध कराया है। 24 क्विंटल के करीब पंजाब से काला गेहूं का बीज मंगाकर गया, नवादा, मोकामा, अरवल, औरंगाबाद जिले के 150 किसानों को बोआई के लिए उपलब्ध कराया। उनका कहना है कि प्रति एकड़ इसकी पैदावार 15 से 16 क्विंटल होगी तो 35 से 40 रुपए प्रति किलोग्राम बाजार में बिक्री की संभावना है।
उन्होंने बताया कि काला गेहूं पैदा करने के लिए उन्होंने न केवल किसानों को जागरूक किया, बल्कि बीज भी किसानों को उपलब्ध कराया है। गया जिले में अलग अलग क्षेत्र के तकरीबन 150 किसान इस गेहूं की बोआई कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि गेहूं की इस प्रजाति में प्रोटीन और एंटी ऑक्सीडेंट ज्यादा है, मधुमेह से पीड़ित लोगों के भी खाने योग्य है।
ट्राइग्लिसराइड से दिल रहता है स्वस्थ
काला गेहूं के नियमित सेवन से शरीर को सही मात्रा में फाइबर मिलता है। यह फाइबर पेट के रोगों में राहत देता है। फास्फोरस तत्व शरीर में नए ऊतक बनाने के साथ उनके रखरखाव में अहम भूमिका निभाते हैं। काले गेहूं की प्रजाति नाबी एमजी में आयरन, जिंक और एंटी ऑक्सीडेंट सामान्य गेहूं की प्रजातियों से ज्यादा हैं।
ट्राइग्लिसराइड तत्वों की मौजूदगी के कारण इसके इस्तेमाल से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। प्रति 100 ग्राम काले गेहूं में कैलोरी 343, पानी 10 प्रतिशत, प्रोटीन 13.3 ग्राम, कार्बन 71.5 ग्राम, शर्करा 0 ग्राम, फाइबर 10 ग्राम और वसा 3.4 ग्राम होती है।
उपज की करते हैं मार्केटिंग
किसानों के उपज की मार्केटिंग भी करते हैं। अमित आहार फाउंडेशन, तो आशीष चंद्रा फर्म की मदद से इन उत्पादों की मार्केटिंग कर रहे हैं। इससे किसानों को उचित लाभ भी मिल रहा है। इसके अलावा अमित ई-जरूरत एप की मदद से किसानों की उपज को डायरेक्ट उपभोक्ताओं तक पहुंचाकर उनकी आमदनी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
रेडिकल्स फ्री है काला गेहूं
यह उत्पाद हमें कैंसर से बचाएगा। रेडिकल्स फ्री रहने के कारण त्वचा पर झुर्रियां जल्दी नहीं पड़ने देगा। काला गेहूं में सामान्य गेहूं के मुकाबले एनथोसाइनिन की मात्रा अधिक होती है। सामान्य गेहूं में एनथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है,जबकि काले गेहूं में एनथोसाइनिन मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है। इसलिए वैज्ञानिकों का दावा है कि इसमें कैंसर को रोकने वाले वाले गुण भी है।
किसानों को करते हैं प्रेरित
अमित प्रकाश कहते हैं कि जबतक खेती को व्यवसायिक रूप नहीं दिया जाएगा, तब तक कृषि प्रधान देश भारत या फिर बिहार की पूरी आर्थिक उन्नति की बात सोचना नितांत ही काल्पनिक होगा। यही कारण है कि वे लगातार एक शोधार्थी की तरह पूरे देश विशेषकर पंजाब, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु आदि राज्यों का भ्रमण कर बिहार के किसानों को उन्नत खेती की ओर उत्प्रेरित करते रहते हैं।
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