परीक्षा में वीक्षण व उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार करने के आरोप में निलंबित शिक्षकों को पहले ही निलंबन मुक्त कर दिया गया है। अब सरकार ने उन पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने का आदेश दिया है। इस बाबत शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने डीएम को पत्र लिखा है। कहा गया है कि हड़ताल में शामिल वैसे नियोजित शिक्षक, जो तोड़फोड़ और हिंसा में शामिल नहीं थे, उनके विरुद्ध की गई प्राथमिकी को वापस लेने को लेकर प्रावधान के अनुरूप आवश्यक कार्रवाई करें।

हड़ताल में सम्मिलित शिक्षकों के विरुद्ध दर्ज केस में डीएम के माध्यम से लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक संबंधित न्यायालय से सीआरपीसी 1973 की धारा 321 के तहत अभियोजन वापस लेने का अनुरोध करेंगे। डीईओ मनोज कुमार ने बताया कि जिले के निलंबनमुक्त हुए 215 शिक्षकों पर दर्ज केस वापस होंगे। उन्होने बताया कि इसके लिए डीएम से अनुमति मिल गई है।

सरकार के साथ वार्ता के बाद हुई थी कार्रवाई

बताते चलें कि मैट्रिक व इंटर परीक्षा के दौरान हड़ताली शिक्षकों को सरकार के निर्देश के बाद निलंबित किया गया था। वहीं लॉकडाउन के मद्देनजर शिक्षक संघ व सरकार के बीच वार्ता के बाद हड़ताल समाप्त हो गई थी। वार्ता में हुए समझौते के आधार पर निलंबन वापस लिया गया था। सभी हड़ताली शिक्षकों को एक साथ विभागीय निर्देश के बाद निलंबन मुक्त किया गया। इस हिसाब से उनके वेतन की कटौती नहीं की जाएगी। डीईओ ने बताया कि 215 शिक्षकों को निलंबन मुक्त के साथ-साथ उनपर लगे केस को भी वापस लिया जा रहा है।

किस थाने में कितने शिक्षक पर हुआ था मामला दर्ज

थाना शिक्षक
लहेरी थाना 36
बिहार थाना 126
सोहसराय थाना 53

मूल्याकंन में नहीं दिया था योगदान

परीक्षा की उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन कार्य मंे योगदान नहीं देने वाले परीक्षकों पर संबंधित थानों में बिहार परीक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज करा दिया गया था। साथ ही 215 शिक्षकों पर निलंबन की कार्रवाई की गई थी। डीईओ ने कहा कि उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन एक अत्यंत महत्वपूर्ण व समयबद्ध कार्य था।



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