बिक्रमगंज अनुमंडल मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर घोसिया पंचायत का कहुआरा गांव के हर घर में देश सेवा का जुनून है। यहां युवकों को दौड़ने व अभ्यास के लिए कहुआरा गांव में कोई ग्राउंड नहीं है। पर देश हित का जज्बा ऐसा की गांव की पगडंडी पर दौड़ लगाकर 50 युवक सरहद पर देश हित के लिए निगाहेंबान टिकाएं हुए हैं। 50 से ज्यादा लोग रिटायर्ड हो चुके हैं। वही गांव के लाल अरबिन्द कुमार 16 फरवरी 2020 को सरहद की रक्षा करने के दौरान शहीद हो गए। जिनका स्मारक गांव में लगाया गया है। लेकिन आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि आजादी के इतने सालों बाद जहां के युवक देश पर जान छिड़कने की कुब्बत रखते हैं। उन बीर जवानों के गांव में पहुंचने के लिए रास्ता नहीं। जनप्रतिनिधियों ने भी कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई। गांव के लोगों ने कई बार सांसद विधायक से मिलकर गांव तक पहुंचने के लिए पहुंच पथ बनाने की बात कही पर आश्वासनों के सिवा इन्हें मिला कुछ नही। अनुमंडल मुख्यालय पहुंचने के लिए इन्हें लिंगा व कहुआरा गांव के बीचों बीच काव नदी पर चाचर पुल बनाया गया है। जिससे होकर लोग शहर व कही जाना होता है तो जाते हैं।

चाचर पुल से होकर गांव पहुंचते हैं लोग


ग्रामीण कहते है कि रास्ते को लेकर गांव के लोग सांसद महाबली सिंह, उपेंद्र कुशवाहा, कांति सिंह व क्षेत्र के कई विधायकों से मिलकर सड़क बनाने की बात कह चुके हैं। समाजिक कार्यकर्ता प्रियंका सिंह ने गांव के युवकों को अभ्यास के लिए ग्राउंड बनाने व अन्य संसाधन उपलब्ध कराने के लिए जनप्रतिनिधियो से कहीं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया। घोसिया पंचायत के लिंगा व कहुआरा गांव के बीच काव नदी पर बना चाचर पुल पर कई बार हादसा हो चुका है, लेकिन इन सब के बावजूद भी किसी अधिकारी व जनप्रतिनिधियो ने सार्थक पहल नहीं किया है। सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीणों को बरसात के दिनों में होता है। जब नदी में पानी आ जाता है और उसी चाचर से स्कूली बच्चे भी जान जोखिम में डालकर पठन पाठन के लिए नदी पार करते हैं।

गांव में ग्राउंड नहीं होने से पगडंडी पर दौड़ते हैं युवक


गांव में ग्राउंड नहीं होने से सेना में जाने के लिए युवक या तो गांव की पगडंडी पर दौड़ लगाते हैं। नहीं तो फिर उन्हें वहां से एक डेढ़ किलोमीटर दूर पड़ोसी गांव के ग्राउंड पर अभ्यास के लिए जाना पड़ता है। देश प्रेम से ओत प्रोत युवकों को सेना में जाने के उत्साह को देखकर गांव के रिटायर्ड आए लोग इनको अभ्यास कराते हैं। शहीद अरबिन्द के घर के रिटायर्ड कुलवंश सिंह ने युवकों के उत्साह को देखकर अभ्यास कराते थे, लेकिन वृद्ध हो गए तो हो नहीं पाता है। इस तरह अन्य रिटायर्ड भी प्रशिक्षण समय समय पर गांव के वैसे युवकों को अभ्यास कराने की कोशिश करते हैं। जो सेना में जाने की रुचि रखते हैं। गांव के मदन सिंह यादव कहते हैं कि शहीद अरविंद का स्मारक गांव के युवकों को ऊर्जा देता है। अभी गांव 40 से 50 युवक आर्मी, बीएसएफ में तैनात हैं। जबकि इतने ही रिटायर्ड हो चुके हैं। इसलिए आस पास के लोग फ़ौजियों का गांव के नाम से ज्यादा इस गांव को लोग जानते हैं पर रास्ता नहीं होने का दुख होता है।


कहुआरा जाने के लिए काव नदी पर बनाया गया चाचर पुल



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Bikramganj News - fifty young men from a village became soldiers due to the passion for service

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