बाइक का पहिया, ठेले का जोड़, हैंडल स्कूटर का, इंजन पंपसेट का, न हेड लाइट है और न बैक लाइट। इन वाहनों को चलाने के लिए न लाइसेंस चाहिए और न ही किसी परमिट की दरकार होती है। यह तस्वीर शहर में चल रहे जुगाड़ से बने वाहनों की। सब्जी बाजार हो या मुर्गा मंडी, हर जगह इन जुगाड़ वाहनों को फरार्टा भरते देखा जा सकता है। वाहनों में ईंधन के रूप में डीजल के साथ केराेसिन का उपयोग किया जाता है, जिससे निकलने वाले धुएं से पर्यावरण और आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट केे निर्देश के बावजूद बहादुरगंज की मुख्य सड़कों पर जुगाड़ वाहनें फर्राटे भर रही हैं। कई वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जुगाड़ वाहनों के परिचालन पर पूरी तरह प्रतिबंध है, बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी की वजह से सुप्रीम काेर्ट के अादेश की राेज धज्जिसां उड़ रही है। प्रखंड क्षेत्र की अधिकांश सड़कों पर जुगाड़ वाहनाें सरपट दौड़ते हुए देखा जा सकता है।

पुलिस का फरमान भी नजरअंदाज

कुछ दिन पहले बहादुरगंज थाना के थानाध्यक्ष सुमन कुमार सिंह ने लाउडस्पीकर की मदद से जुगाड़ वाहन चालकों को मुख्य बाजार में प्रवेश करने से मना किया गया था पर इसका काेई असर पहीं हुअा। बेरोक-टोक मुख्य मार्गों पर भी जुगाड़ वाहन सरपट दाैड़ रहे हैं। मजे की बात है कि इन वाहनों के न कोई रजिस्टर्ड नंबर हैं न चालक का लाइसेंस। दुर्घटना हाेने पर इन पर कोई कार्रवाई भी नहीं हो पाती है। क्षमता से अधिक वजन लोड कर सरकारी राजस्व में सेंधमारी की जा रही है। छोटे वाहन मालिकों ने अलग-अलग मद में सरकार काे टैक्स देते हैं, जबकि जुगाड़ वाहन कुछ दिए बिना पिकअप व अन्य गाड़ियों का भाड़ा मार लेते हैं। वाहन चालकों ने जिला प्रशासन से अविलंब एेसे जुगाड़ वाहनाें पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।



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