देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। जो जहां है वहीं ठहरा हुआ है। सारा काम धंधा ठप है। इस वायरल इंफेक्शन से बचने का एक मात्र साधन सावधानी ही है। सरकार के तरफ से साबुन से हाथ धोने व मास्क पहनने का सुझाव दिया गया है। बहुत सारे समाजसेवी गरीबों व जरूरतमंदों तक राशन व साबुन पहुंचा रहें है। लेकिन बाजार में मास्क उपलब्ध नहीं है।वहीं मुख्यालय से लेकर गांव में कोई भी लोग इस महामारी की चपेट में नहीं आएं इसको लेकर हसपुरा के पतंजलि योगपीठ के जिला योग प्रचारक की बेटी पूजा कुमारी स्वंय मास्क बाकर लोगों के बीच वितरण कर रही है। पिता से विमर्श के बाद हैंडलूम के सूती कपड़े से डबल लेयर मास्क बनाकर सब्जी विक्रेताओं, सफ़ाई कर्मियों और झोपड़पट्टियों में बांट रही है। पूजा अबतक 300 मास्क बनाकर वितरण कर चुकी है। लोग उसके इस प्रयास की बहुत सराहना कर रहें है।
कुशवाहा कल्याण महासभा व भारतीय युवा मंच ने राहत सामाग्री का किया वितरण
लॉक डाउन के बेरोजगार हुए दलित दिहाड़ी मजदूरों के बीच कुशवाहा कल्याण महासभा घर - घर जाकर राशन सहित अन्य सामग्री पहुंचा रहा है। कोरोनो आपदा में रतनपुर गांव का दलित टोला चुल्हन्न बिगहा में गरीब,गुरबों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया गया। वितरण सामग्री में चावल,आटा, आलू,सरसो तेल, नमक,साबुन का राहत कीट महासभा के युवाओं के द्वारा डोर टू डोर जाकर दिया गया। टीम में शामिल नवीन कुमार शास्त्री, अजीत कुमार,अभिमन्यु, सौरव और सोनू ने बताया कि ग्रामीणों के सहयोग से अनाज व बाहर के दानदाताओं के सहयोग से राशन सामग्री विभिन्न गांवों में लगातार दस दिनों तक लोगो को चिन्हित कर दिया जाएगा। प्रतिदिन 100 राशन कीट देने का लक्ष्य रखा गया है। वही दूसरी ओर भारतीय युवा मंच ने राशन सामग्री देने के साथ सभी गांव में जा कर इस महामारी से बचने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है। मंच ने अभी तक लगभग 397 घरों में उनके गांव में राशन सामग्री दिए है। मंच के आसिफ आजम, मोहम्मद फिरोज, डॉ संजय कुमार गुप्ता, जीशान अहमद, मंटू कुमार ने आश्वस्त किया कि जबतक जरूरत होगी मंच इसी तरह लोगों की मदद करते रहेगा।
पांच रुपए में बन जाता है एक मास्क
हसपुरा महिला कॉलेज की स्नातक विज्ञान की छात्रा पूजा को पढ़ाई के साथ सिलाई में भी रुचि है। जब मास्क बनाने का निर्णय लिया तो पैसे की समस्या थी। उसने पैकेट मनी से बचाकर जमा किए गुल्लक को तोड़कर पैसा निकाला। फिर भी पैसे कम पड़े तो पिता ने मदद किया। बाजार से 1000 रुपये का एक थान हैंडलूम के कपड़े मंगवाया। मास्क का डिजाइन हॉस्पिटल में उपलब्ध सर्जिकल मास्क से कॉपी किया। उसके इस जज्बे को देखते हुए उसके पिता सुरेश आर्य, बहन सभी ने साथ दिया। काम जल्दी निपटाकर सभी परिवार मास्क बनाने में जुट जाते है। उसके बाद उसके पिता मास्क गरीबों के बीच बांट देते है। पूजा ने बताया कि एक थान में डबल लेयर का 200 मास्क तैयार हो जाता है। इस हिसाब से 5 रुपये में एक मास्क तैयार हो जाता है।अबतक दो थान कपड़े ले आयी है। दूसरा थान उसके पिता ने अपने पैसे से दिया है। बताया हमसे जितना बन बन पाया उतना कर रहें है।
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