कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर जनता कर्फ्यू फिर लॉकडाउन के बाद बस परिचालन, ईट भट्टा, बिल्डिंगों के चल रहे काम, अन्य जो भी छोटे- छोटे लघु उद्योग चल रहे थे पूरी तरह से ठप पड़ गया है। वही बिक्रमगंज अनुमंडल मुख्यालय से होकर गुजरने वाले लगभग छोटी बड़ी 10 हजार वाहनों के चक्का रुक गया है लोग भी घरों से नही निकल रहे है। कोरोना वायरस संक्रमण के बाद इन यह धंधे तो चौपट तो हो गया है। इन से जुड़े हजारों लोगों के समक्ष भुखमरी की संकट भी उत्पन्न हो गयी है, लेकिन इसका एक साइड इफेक्ट्स देखने को मिल रहा है कि ध्वनि, वायु, व जल प्रदूषण से आम लोगों के साथ- साथ खास लोगों को काफी राहत मिली है। शहर में जहां प्रतिदिन हजारों वाहनों की आवागमन होता था। वाहनों की हॉर्न व प्रेशर हॉर्न से परेशान रहते थे। उससे लोगों को निजात मिला है। आए दिन सड़क जाम की समस्या व आवाज की समस्या से लोग परेशान रहते थे उन्हें सुकून मिला है।
सड़कों पर पूरी तरह पसरा है सन्नाटा : शहर के तेंदुनी चौक से बिहार के अलग अलग जिलों व राजधानी पटना जाने के साथ साथ छतीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, के लिए तीन बजे सुबह से वाहनों का यातायात शुरु हो जाता था। जो रात के 8 बजे तक सिलसिला चलता था। अब उससे खासकर शहर के लोगों को सुकून मिला है। वाहनों के नहीं चलने से लॉक डाउन के दौरान सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। जरूरत वाहनों की सामग्री के वाहनों को छोड़कर वाहनों की परिचालन नहीं के बराबर हो गए हैं। शहर के लोग अब चैन की नींद सो रहे है भीड़भाड़ वाले क्षेत्र सुनसान हो गया है। ऐसा लग रहा है कि शहर गांव में तब्दील हो गया है सुबह के हॉर्न की जगह पर पक्षियों की चहचहाहट की आवाज सुनाई देने लगा है। शहर से होकर गुजरने वाले काव नदी में अप्रैल माह में पानी है। जबकि पहले मार्च में सुख जाता था। पानी की जगह नदी में धूल उड़ने लगता था।

पॉल्यूशन कम होने से सुधर रही सेहत
लॉकडाउन के दौरान ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण व जल प्रदूषण, से लोगो को मुक्ति मिला है। ध्वनि प्रदूषण से जो पक्षी विलुप्त होने के कगार पर थे वे आज पेड़ों पर दिखने लगे हैं वही ध्वनि प्रदूषण से जहां लोग को शुद्ध ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाता था। जिससे विभिन्न बीमारियों के जन्म होता था। उससे अब लोगों को निजात मिला है। शहर में भारी भरकम वाहनों के प्रेशर हॉर्न से लोगो के हॉट बीट बढ़ जाया करते थे। लोगों में सुनने की शक्ति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा था। अब थोड़ी सांस लेने में सहजता महसूस कर रहे है।
बीमारियों से भी मिल रही लोगों को राहत
वाहनों से निकलने वाले कला धुंआ जिसमें हाइड्रोकार्बन जैसे हानिकारक रसायन होता है। इससे लोगों के सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता था। पाचन शक्ति कमजोर हो रही थी। मधुमेह बीमारी बढ़ रही थी। इससे भी लोगों को राहत मिला है। वातावरण में ऑक्सीजन लोगो को भरपूर मात्रा में मिल रहा है। बढ़ते प्रदूषण से आम लोगो के साथ साथ जीव जंतु पर भी असर पड़ता था। जिससे लोग अब सुकून महसूस कर रहे हैं।

कई गांव को लोगों ने बांस व बिजली पोल से किया सील
लॉकडाउन में कोई लापरवाही न बरतें इस लिए अनुमंडल क्षेत्र के दर्जनों गांव के लोगो ने अपने गांव के रास्ते को सील कर दिया है। यहां तक कि रिश्तेदारों के भी गांव में प्रवेश पर कुछ दिनों के लिए प्रतिबन्ध लगा दिया है। लॉक डाउन के पालन कराने के लिए अनुमंडल प्रशासन भी सख्त दिख रहा है। एसडीएम विजयंत व एसडीपीओ राजकुमार जहां भी पता चल रहा है कि लॉकडाउन के उलंघन हो रहा है। तत्काल खुद से पहुंच रहे हैं।



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Pollution reduced in lockdown, air cleared; Smoke and noise provide relief to people

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