(नवीन निशांत) कोसी में हर साल 12 सेंटीमीटर, यानी लगभग 5 इंच सिल्ट या गाद जम रही है। इसके अनुसार गणना करें तो 1963 में कोसी तटबंध का काम पूरा होने के बाद 57 साल में नदी का तल लगभग 23.75 फीट (285 इंच) ऊपर आ चुका है। दोमंजिला भवन जितना ऊपर। नदी के हिसाब से सरकार ने तटबंध की ऊंचाई भी बढ़ा दी। लेकिन, आसपास के गांव तो पुरानी ऊंचाई पर ही हैं।
नतीजा, पूर्वी कोसी तटबंध के बाहर बसी आबादी के घरों की पहली मंजिल की छत से करीब 5-6 फीट ऊंची नदी में बाढ़ की आशंका से आसपास के इलाके सिहरते रहते हैं। बाढ़ में कोसी और मिथिलांचल की करीब 3 करोड़ से अधिक आबादी सहमी रहती है, लेकिन नदी के अंदर के 308 गांवों के लिए तो नदी तल का उठना ही प्रलय है।
एक लीटर पानी में आता है 3 ग्राम सिल्ट
सिल्ट के अध्ययन के लिए बाढ़ के बाद सेन्ट्रल वाटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन पुणे से विशेषज्ञों की टीम आती है। उनके अनुसार कई चक्रों में सिल्ट आता है। एक अलग टीम ने इसके एक लीटर पानी में 3 ग्राम सिल्ट पाया है। प्रकाश दास, मुख्य अभियंता (वीरपुर), जल संसाधन विभाग
सिल्ट के कारण नदी का तल डराता है
125 कि.मी. लंबे तटबंध के बाहर भीमनगर 0 कि.मी. से कोपरिया 125 कि.मी. के बीच सबसे खतरनाक स्थिति सहरसा जिले की सीमा से गुजरने वाले पूर्वी कोसी तटबंध के पूर्व और तटबंध के अंदर बसे करीब 308 गांवों की है। पूर्वी कोसी तटबंध के किनारे नवहट्टा प्रखंड के हाटी पंचायत के बड़ाही गांव स्थित 72.80 कि.मी. बिंदु वाले स्पर के पास देवन वन मंदिर और पूरब शाहपुर गांव नदी के लेवल से 5 से 6 फीट नीचे हो चुका है।
नेपाल से कब और कितना पानी आएगा, अंदाजा नहीं
नेपाल-भारत के रिश्तों में बदलाव की आहट से बिहार के बाढ़ आशंकित क्षेत्र के लोगों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। कोसी में अभी बाढ़ नहीं आई है, लेकिन इस बार नेपाल कितना पानी छोड़ेगा और बताकर भेजेगा या बिना बताए...यह सवाल है। भास्कर ने कोसी में बाढ़ के कारण की पड़ताल की। ड्रोन से खीचीं गई तस्वीर में दिख रहा है कि पूर्वी कोसी तटबंध के देवन वन मंदिर से सटे पूरब शाहपुर गांव के पास नदी और तटबंध में फासला कम बचा है। बस्ती नीचे जा चुकी है।
बड़ाही के समीप नदी और स्पर का लेवल बराबर हुआ
तटबंध के बराबर ऊंचाई में बनाए जाते हैं स्पर। यह तटबंध से जुड़कर T आकार में 90 डिग्री पर बनाए जाते हैं। यह नदी की धार को जगह पर रखते हैं ताकि वह तटबंध की तरफ न जाए। 2008 की कुसहा त्रासदी के समय कोसी तटबंध के दो किमी तक लंबे स्पर कहीं-कहीं 200 मीटर बचे हुए थे।
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