मुख्यमंत्री द्वारा नियोजित शिक्षकों का चिरपरिचित मांग सेवा शर्त व ईपीएफ की घोषणा व आनन-फानन में लागू करने के निर्णय से शिक्षकों व शिक्षक संघ के नेताओं में असंतोष जाहिर की है। बुधवार को शहर के नेताजी सुभाष स्टेडियम में शिक्षकों द्वारा लॉकडाउन व शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए शांतिपूर्ण तरीके से मंत्रीमंडल फैसले का प्रति जलाकर सांकेतिक विरोध दर्ज किया गया।
आनन-फानन में शिक्षक संगठनों से वार्ता किए बगैर घोषित अधूरे सेवा शर्त से वेतनमान के तरह ही टीईटी शिक्षकों के साथ अनदेखी की गई है। यही नहीं उच्चतम न्यायालय के द्वारा भी टीईटी शिक्षकों को एक्सपर्ट शिक्षक मानते हुए बेहतर वेतनमान व सेवा शर्त देने का सुझाव सरकार को दिया गया था। इसकी भी अनदेखी हुई। जिलाध्यक्ष आफताब फिरोज, वरीय उपाध्यक्ष दीनबंधु यादव, जिला संगठन संरक्षक सत्यम कुमार, जिला कोषाध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता, नरपतगंज प्रखंड अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह, अररिया प्रखंड अध्यक्ष सुधीर कुमार राय, अररिया प्रखंड सचिव शारिब आलम, फारबिसगंज प्रखंड सचिव मो. गालिब अनवर आदि ने भी नाराजगी व्यक्त की है।
बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ ने नया सेवाशर्त को एक धोखा बताया
नियोजित शिक्षकों को लेकर नया सेवाशर्त की घोषणा के बाद उत्पन्न परिस्थितियों के बाद बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल सिंह की अध्यक्षता में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा वर्चुअल मीटिंग बुधवार को सम्पन्न हुई। बैठक में सर्वसम्मति से नया सेवाशर्त को एक धोखा बताया गया। 15 वर्षों के लंबे संघर्ष एवं 78 दिनों के ऐतिहासिक हड़ताल के बाद सरकार ने जो वादा किया था। नया सेवाशर्त उस समझौते का बिल्कुल विपरीत है।
प्रदेश कोषाध्यक्ष और संघ के जिलाध्यक्ष प्रशांत कुमार ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार शिक्षकों को अप्रैल फूल बनाने का कार्य किया है। इस तरह के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण नहीं कहें तो और क्या? इस तरह के निर्णय से स्पष्ट होता है कि सरकार दिशाहीन हो चुकी है। ये सरकार जनता, जनप्रतिनिधियों एवं कर्मचारियों का विश्वास खो चुकी है। साथ ही वोट की लड़ाई को सफल बनाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल के नेतृत्व में टीम ऑफ चाणक्या का गठन करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
नियोजित शिक्षकों को सेवा शर्त के नाम पर बिहार सरकार ने दिया झुनझुना
पिछले पांच वर्षों से सेवाशर्त के नाम पर बिहार सरकार ने चार लाख नियोजित शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया है। अब चुनाव देख इसका झुनझुना थमा दिया है। उक्त बातें शिक्षक संघ के जिला सचिव नवीन ठाकुर ने कही। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव से पहले सेवा शर्त बनाने की सहमति पर हड़ताल पर अड़े शिक्षकों ने हड़ताल वापस लिए थे। पुनः जब बिहार विधानसभा चुनाव 2020 नजदीक आई तो आनन-फानन में सरकार बनाओ फिर झुनझुना ले जाओ वाले कहावत चरितार्थ कर दिए हैं।
एक ही छत के नीचे पढ़ाने वाले किसी शिक्षक को 80 से 90 हजार और वही नियोजित शिक्षकों को 20 से 25000 में ही काम को करना पड़ता है जो लोकतंत्र की हत्या के समान है जबकि नियोजित शिक्षकों की लड़ाई समान काम समान वेतन का है। जब तक हमें समान काम समान वेतन नहीं मिलेगी तब तक लड़ाई जारी रखा जाएगा। कहा मंत्रिमंडल कैबिनेट की बैठक में सेवा शर्त के नाम पर मोहर लगाकर सरकार इस तरह प्रचारित कर रही हैं मानो नियोजित शिक्षकों को सोने का चिड़िया थमा दिया गया है। यह कैसी मानसिकता सरकार दर्शाना चाहती है जो बिहार के सभी जनता देख रही है। मानव जीवन का अमूल्य संपत्ति शिक्षा होती है जिसे अभी बिहार में शिक्षा की स्थिति चरमरा सी गई है। जब तक सरकार हम नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन नहीं लागू करती हैं तब तक यह आंदोलन अनवरत चलती रहेगी।
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