क रीब सात साल से बाधित 17 किलोमीटर लंबे हाजीपुर-मुजफ्फरपुर बायपास का नए सिरे से निर्माण शुरू हाे चुका है। 2021 के अंत तक निर्माण पूरा हाे जाएगा। फिर उत्तर बिहार के सभी जिलाें से पटना आने-जाने वाले वाहन मुजफ्फरपुर शहर के ट्रैफिक में फंसे बगैर फर्राटा भर सकेंगे। नेपाल आने-जाने वालाें काे भी आसानी हाेगी।
माेतिहारी, छपरा, दरभंगा, सीतामढ़ी और शिवहर की गाड़ियां भी मधाैल से सदातपुर के रास्ते एनएच 28 पर पहुंच जाएंगी। हाजीपुर से मुजफ्फरपुर आने वाली गाड़ियां मधाैल गांव से बाएं मुड़ कर बायपास हाे कर छपरा एनएच-102 पार करते हुए सदातपुर में एनएच-28 पर मिल जाएंगी।
वहां से पिपराकाेठी-गाेपालगंज से लखनऊ, दरभंगा के रास्ते पूर्णिया से सिलचर तक जाने वाली गाड़ियां एनएच-57 से, सीतामढ़ी के रास्ते नेपाल सीमा पर सोनबरसा तक एनएच-77 और मझाैली से नेपाल सीमा स्थित चाेराैत तक एनएच-527 से चली जाएंगी। बायपास भी फोरलेन का और एनएचएआई का मॉडल राेड हाेगा।
इस पर करीब 180 कराेड़ रुपए लागत का अनुमान है। मालूम हाे कि, मुआवजा के कारण सात वर्षों से इस 17 किलोमीटर बायपास का निर्माण ठप था। हालांकि, इसका करीब 6 किलोमीटर हिस्सा बन भी चुका है। एनएच-102 के ऊपर फ्लाइओवर, दाे बड़े पुल और एक रेल ओवरब्रिज का निर्माण हाेना है।
सबसे बड़े 3 फायदे
- बिना मुजफ्फरपुर शहर आए गोपालगंज हाे कर लखनऊ तक आना-जाना हाे जाएगा सुगम
- सीतामढ़ी, शिवहर से लेकर नेपाल तक आने-जाने में आसानी के कारण है सामरिक महत्व
- दरभंगा के रास्ते पूर्णिया तक के लाेगाें काे पटना आने-जाने में लगेगा कम वक्त
बाधा जाे दूर हुई
मुआवजे की दर काे लेकर हाजीपुर-मुजफ्फरपुर के बीच कई स्थानों पर फोरलेन का काम बाधित रहा। महज 6 किलोमीटर निर्माण हाे पाने के कारण बायपास चालू नहीं हाे सका। बाकी 80 फीसदी दूरी तक हाजीपुर-मुजफ्फरपुर फोरलेन बन गया और वाहनों से टाेल टैक्स वसूली शुरू है। नए साल में लाेगाें काे नई सुविधा मिलेगी।
हाईकोर्ट ने पीआईएल पर सख्ती की तब बनी बात
जमीन अधिग्रहण की बाधाओं के कारण 2013 से सात वर्षों तक काम बंद रहा। एनएचएआई ने प्रोजेक्ट काे डी-स्काेप की श्रेणी में डाल कर इसे बंद करने का निर्णय ले लिया। लेकिन, पथ निर्माण विभाग की पहल के बाद 27 जून 2020 से प्रोजेक्ट पर नए सिरे से काम शुरू हुआ। अंतत: निर्माण की मंजूरी के साथ राशि भी मिल गई। हालांकि, इसके लिए 2020 में नवंबर में जनहित याचिका की सुनवाई के दाैरान हाईकोर्ट काे सख्ती करनी पड़ी। हाईकोर्ट इसकी निगरानी कर रहा है।
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