भारत सरकार के द्वारा सूक्ष्म, लधु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय की स्फूर्ति परियोजना के तहत देश के सबसे बड़े जूट और नेचुरल फाइबर क्लस्टर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। जूट और नेचुरल फाइबर क्लस्टरनिर्माण की जिम्मेवारी सरकार के द्वारा राष्ट्रीय स्तर के सामाजिक संगठन सवेरा को इसके संचालन की जिम्मेवारी दी गई है।

क्लस्टर के माध्यम से जूट और प्राकृतिक रेशे (केले) से घरों में प्रयोग होने वाली विभिन्न वस्तुओं का निर्माण होगा। इसके लिए जिले में 1000 लघु उद्यमियों को भी तैयार किया जाएगा। इसके लिए बाईपास स्थित उफरैल में प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र के लिये सामान्य सुविधा केंद्र की स्थापना की जाएगी, जिसके लिए भवन एवं उद्योग केन्द्र का निर्माण कार्य आरंभ हो चुका है। एक अप्रैल 2021 से जूट और नेचुरल फाइबर से निर्मित वस्तुओं का उत्पादन आरंभ करने की योजना बनाई गई है।

गौरतलब है कि वर्ष 2005 में ही स्फूर्ति परियोजना की शुरुआत की गई थी। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत विशेषज्ञ सामाजिक संगठनों को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी गयी है।

1000 लघु उद्यमियों को किया जाएगा तैयार, राष्ट्रीय स्तर के सामाजिक संगठन सवेरा को क्लस्टर संचालन की जिम्मेदारी
लघु उद्यमियों को मिलेगा प्रशिक्षण

स्फूर्ति परियोजना के तहत जूट एवं नेचुरल फाइबर जिसमें केले के रेशे से सामान बनाने वाले ऐसे सभी कारीगरों को प्रशिक्षित करके उनकी क्षमता को बढ़ाकर पारंपरिक उद्योगों को अधिक उत्पादक और लाभ दायक बनाया जाएगा।परियोजना के तहत जिले में 1000 लघु उद्यमियों को तैयार किया जाएगा। साथ ही ऐसे भी लोगों को इसका प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार का अवसर प्रदान किये जायेंगे, जो इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में रुचि रखते हो और एक उद्यमी के तौर पर अपने को स्थापित करना चाहते हो। प्रशिक्षण के बाद लाभुकों को अर्टिशन कार्ड एवं भारत सरकार की तरफ से उद्योग आधार कार्ड भी दिया जाएगा और उनके नाम विशेषज्ञ के रूप में सरकार की वेबसाइट पर दर्ज होगा।

आत्मनिर्भर भारत के अभियान और लोकल फॉर वोकल में होगा सहायक
स्फूर्ति परियोजना के द्वारा सरकार पारंपरिक उद्योगों को क्लस्टर के रूप में व्यवस्थित करने के साथ-साथ कारीगरों के कौशल में सुधार, कारीगरों के पूर्ण प्रशिक्षित करके उन्हें बेहतर उपकरण उपलब्ध कराना चाहती है। साथ ही राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन स्थानीय उत्पादों को पहुचा कर शिथिल हो चुके पारंपरिक उद्योगों को पुनः पुराने स्वरूप में लाना चाहती है। यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत के अभियान और लोकल फॉर वोकल मिशन में सहायक होगा। इस परियोजना में 60 प्रतिशत महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें उद्यमी बनाया जाएगा।

जूट और फाइबर क्लस्टर घोषित होने से पूरे सीमांचल को मिलेगा फायदा
सवेरा संस्था के अध्यक्ष विनोद आशीष ने बताया कि सीमांचल के इलाकों में जूट की बहुतायत खेती होती है।साथ ही साथ यह पूरा इलाका केले की खेती के लिए भी प्रसिद्ध है। ऐसे में भारत सरकार ने पूर्णिया को देश का सबसे बड़ा जूट और फाइबर क्लस्टर बनने से सीमांचल के लोगों को काफी फायदा मिलेगा।रियोजना के निदेशक सह संचालन समिति के सदस्य आर्किटेक्ट संदीप कुमार हैं। जिले में परियोजना संचालन समिति के सदस्य एवं परियोजना के मुख्य सलाहकार विजय कुमार श्रीवास्तव हैं।परियोजना संचालन समिति की महिला सदस्य के तौर पर सरिता राय को नामित किया गया है।



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बाईपास स्थित उफरैल में बन रहा प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र।

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