सिटी रिपोर्टर | औरंगाबाद ग्रामीण

पद्मश्री डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर जी ने अपना समस्त जीवन भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने में अर्पित कर दिया। उन्होंने अपने अथक शोध द्वारा भारत की समृद्ध प्राचीन संस्कृति व सभ्यता से सारे विश्व को अवगत कराया। इन्होंने सरस्वती नदी की अपने अन्वेषण में पुष्टि करने के साथ-साथ इस अदृश्य हो गई नदी के बहने का मार्ग भी बताया। इनके शोध के परिणाम सम्पूर्ण विश्व को आश्चर्यचकित कर देने बाले हैं। ये बातें संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले ने कही। वे बुधवार को शहर के आईएमए हॉल में संस्कार भारती जिला इकाई औरंगाबाद द्वारा आयोजित पद्मश्री डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर (पुरातत्ववेत्ता) के जनशताब्दी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें पहली बार औरंगाबाद में आने का मौका मिला है। इसके लिए वे संगठन के आभारी हैं। कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर का भरतीय संस्कृति में योगदान और भारतीय संस्कृति में साहित्य की भूमिका विषय पर एक शोध गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सिन्हा कॉलेज के प्राचार्य डॉ वेद प्रकाश चतुर्वेदी ने की। इस मौके पर संस्कार भारती के संरक्षक डॉ श्रीधर सिंह, डॉ ब्रजकिशोर सिंह, रंजय अग्रहरि, जगन्नाथ सिंह, हेरम्ब मिश्र, डॉ रामाशीष सिंह, शिवनारायण सिंह, सचिन कुमार, मेघनाथ कुमार सहित अन्य मौजूद थे। सभी वेद संस्कृत में है लेकिन आज लोग संस्कृत नहीं पड़ते : कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि वेदों को स्थापित व इसके अस्तित्व को बचाने का काम डॉ विष्णु ने किया था। सभी वेद संस्कृत में है लेकिन आज लोग संस्कृत नहीं पड़ते हैं। इसके लिए जागरुकता लानी हाेगी। डॉ विष्णु ने संस्कार भारती की स्थापना, उनके कार्य पद्वति का नीति निर्धारण में अहम योगदान दिया है। पुरातत्व के खोज के द्वारा एक नई दिशा दिखाने का काम किए थे।

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पद्मश्री डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर जी ने अपना समस्त जीवन भारत की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने में अर्पित कर दिया। उन्होंने अपने अथक शोध द्वारा भारत की समृद्ध प्राचीन संस्कृति व सभ्यता से सारे विश्व को अवगत कराया। इन्होंने सरस्वती नदी की अपने अन्वेषण में पुष्टि करने के साथ-साथ इस अदृश्य हो गई नदी के बहने का मार्ग भी बताया। इनके शोध के परिणाम सम्पूर्ण विश्व को आश्चर्यचकित कर देने बाले हैं। ये बातें संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले ने कही। वे बुधवार को शहर के आईएमए हॉल में संस्कार भारती जिला इकाई औरंगाबाद द्वारा आयोजित पद्मश्री डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर (पुरातत्ववेत्ता) के जनशताब्दी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें पहली बार औरंगाबाद में आने का मौका मिला है। इसके लिए वे संगठन के आभारी हैं। कार्यक्रम में पद्मश्री डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर का भरतीय संस्कृति में योगदान और भारतीय संस्कृति में साहित्य की भूमिका विषय पर एक शोध गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सिन्हा कॉलेज के प्राचार्य डॉ वेद प्रकाश चतुर्वेदी ने की। इस मौके पर संस्कार भारती के संरक्षक डॉ श्रीधर सिंह, डॉ ब्रजकिशोर सिंह, रंजय अग्रहरि, जगन्नाथ सिंह, हेरम्ब मिश्र, डॉ रामाशीष सिंह, शिवनारायण सिंह, सचिन कुमार, मेघनाथ कुमार सहित अन्य मौजूद थे। सभी वेद संस्कृत में है लेकिन आज लोग संस्कृत नहीं पड़ते : कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि वेदों को स्थापित व इसके अस्तित्व को बचाने का काम डॉ विष्णु ने किया था। सभी वेद संस्कृत में है लेकिन आज लोग संस्कृत नहीं पड़ते हैं। इसके लिए जागरुकता लानी हाेगी। डॉ विष्णु ने संस्कार भारती की स्थापना, उनके कार्य पद्वति का नीति निर्धारण में अहम योगदान दिया है। पुरातत्व के खोज के द्वारा एक नई दिशा दिखाने का काम किए थे।



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