भागलपुर. काेराेनावायरस के संक्रमित व संदिग्धाें के इलाज का बाेझ जिन सरकारी अस्पतालाें पर है, वह खुद बीमार है। हालत यह है कि अस्पतालाें में दवा की भारी किल्लत है। खासकर फंगल इंफेक्शन से बचाव के लिए जरूरी दवा तक नहीं है। ज्यादातर अस्पतालाें में 75 में 35 तरह की दवाइयां नहीं हैं। काेशी-पूर्व बिहार के इकलाैते मेडिकल काॅलेज अस्पताल (मायागंज) में गैस की दवा दाे दिन पहले खत्म हाे गई है। खांसी का सिरप ताे छह माह से नहीं मिल रहा।

अनुमंडल, रेफरल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्राें में भी खांसी की दवा नहीं है। अस्पतालों में जांच के बाद सर्दी-खांसी से बचाने को तीन तरह की दवा डाॅक्टर लिख रहे हैं, लेकिन अस्पताल में एक ही दवा मिल रही है। बाकी दाे दवा निजी दुकानों से खरीदनी पड़ रही है। ऐसी स्थिति में मरीज अाैर उनके परिजन दवा के लिए डाॅक्टर की पर्ची लेकर बाहर भटक रह रहे हैं। अस्पताल के बाहर लगी निजी दवा दुकानों से खरीदारी के लिए विवश हो रहे हैं। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार गोलमोल जवाब दे रहे हैं।

मायागंज अस्पताल में सिरप की बजाय मिल रहा टैबलेट
मायागंज अस्पताल की ओपीडी में 75 में 42 तरह की दवा है। सदर अस्पताल की अाेपीडी में 75 में 40 अाैर इंडाेर में 96 में 56 तरह की दवा है। अस्पताल में गैस की दवा रेबिप्राजाेल टैबलेट दाे दिनाें से नहीं है। खांसी की कफ सिरप छह माह से नहीं है। इसके बदले टैबलेट दिया जा रहा है। फंगल इंफेक्शन व मानसिक राेग की दवा भी नहीं है। एलर्जी व स्किन के इलाज को अाई गाेपालपुर की बिंदु देवी काे काउंटर पर चार दवा मिली, बाकी बाजार से खरीदनी पड़ी।

सदर अस्पताल में तीन में से एक दवा बाहर से लेनी पड़ रही

सदर अस्पताल पर पांच लाख की आबादी के इलाज का जिम्मा है। शहरी क्षेत्र के अलावा नाथनगर, जगदीशपुर व सबाैर के मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। ओपीडी में अकबरनगर के श्रीरामपुर से अपने नाै माह के बेटे आर्यन के सर्दी-खांसी, बुखार के इलाज को आईमहिला काे डाॅक्टर ने तीन दवा लेने की सलाह दी। दवा काउंटर पर पारासिटामाेल ड्राॅप व एक अन्य दवा मिली, तीसरी दवा बाहर की दुकान से लेना पड़ा।

गंभीर बीमारी की दवा नहीं
नवगछिया अस्पताल की ओपीडी में 56 में 48 और कहलगांव में केवल 35 तरह की दवा है। यहां अाैसतन 300 मरीज अाते हैं। इनमें सर्दी-खांसी, बुखार की दवा तो मिल जाती है, लेकिन गंभीर बीमारी की दवा नहीं मिल पाती।

यहां सर्दी की दवा भी नहीं
नाथनगर रेफरल अस्पताल में दमा, सर्दी, खांसी, दमा, स्किन की दवा नहीं मिल रही। बुधवार काे बेटे शिवम और शुभम को सर्दी होने पर इलाज को आई किशनपुर की महिला ने बताया, दोनों काे सर्दी-खांसी है। दवा नहीं मिली। मैनेजर कुमारी अपर्णा बोलीं- कफ सिरप बंद है, इसलिए एंटीबायाेटिक दी जाती है।

यहां बीपी कैसे कंट्रोल करें
खरीक पीएचसी में एक माह से बुखार की दवा नहीं है। मंगलवार को 146 में 100 से अधिक बुखार और अन्य सीजनल बीमारी से पीड़ित थे। पेन किलर, विटामिन व अन्य बीमारी की दवा अस्पताल में नहीं है। शाहकुंड पीएचसी में बीपी, एलर्जी, कफ सिरप नहीं है।

ओपीडी में 42 तरह की दवा उपलब्ध



जो दवा नहीं है, वह काॅरपाेरेशन से मांगा है
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अस्पताल में दवा नहीं मिली तो मायागंज अस्पताल के सामने निजी दवा दुकानों पर लगी मरीजों की भीड़।

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